‘चायवाला’: चाय की दुकान पर पिता संग काम किया, 70 किलोमीटर स्कूल आना-जाना पड़ता, फिर बन गया IAS अफसर

देश में लाखों स्टूडेंट्स और अभ्यार्थी यूपीएससी की परीक्षा (UPSC Exam) देते हैं, परन्तु इस सबसे कठिन परीक्षा में मात्र कुछ गई लोग सक्सेस की सीढ़ी चढ़ पाते हैं। यूपीएससी की परीक्षा देश के सबसे कठिन परीक्षाओं में एक मानी जाती है और हर अभ्यार्थी बस यही चाहता है की वह एग्जाम क्रैक करके बड़ा अधिकारी बने।

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यह एक ऐसे आईएएस अफसर की कहानी हैं, जिसने गरीबी और मुश्किलों में भी अपने इस सपने को नहीं छोड़ा और निरंतर डटा रहा। अपने स्कूल के दिनों में उसे रोज 70 किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ता था और उनके पिता मजदूरी करते थे।

कुछ समय पिता के साथ ठेले पर चाय बेचीं

आर्थिक तंगी और बहुत ही कम संसाधनों में भी अपनी हिम्मत बंधे रखी और उन्होंने अपने मज़दूर पिता की मदत करने के लिए कुछ समय ठेले पर चाय भी बेचीं। यह कहानी है आईएस हिमांशु गुप्ता की, जिन्होंने मेहनत और संघर्ष के बाद सफलता पाने की मिसाल पेश की है।

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उत्तराखंड (Uttrakhand) के रहने वाले हिमांशु गुप्ता कड़ी मेहनत करने के बादआज भले ही एक आईएएस अफसर (IAS Officer) है, परन्तु उनकी कहानी आपको यह सोचने पर मजबूर कर देगी की जब वे इस मुकाम पर पहुँच सकते हैं, तो आप उनसे अच्छी परिस्थिति में है। बस बात मन में जज्बा लेन की है। भला कोई भी इन परिस्थितियों में निराश होकर बैठ गए और सपने देखना ही छोड़ दे।IAS Himanshu Gupta4 62d2836182c03

कई साल तक स्कूल ड्राप कर दिए गए

यूपीएससी की परीक्षा क्रैक करने वाले हिमांशु गुप्ता कई साल तक स्कूल ड्राप कर दिए थे। उनके पिता वैसे तो एक दिहाड़ी मजदूर थे, लेकिन उन्होंने यह हमेशा यह चाहा कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर काबिल बनाये। वे अपनी आर्थिक स्थिति से भी बहुत परेशान थे। फिर भी वे प्रयत्न करते रहे।

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हिमांशु गुप्ता ने एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने बारे में बताया की मैं स्कूल जाने से पहले और बाद में अपने पिता के साथ काम करता था। स्कूल 35 किमी दूर था, तो ऐसे में आना-जाना 70 किमी का हो जाता था। मैं अपने स्कूल के सहपाठियों के साथ एक वैन में जाता था।

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सहपाठियों ने चायवाला कहकर मज़ाक बनाया

उन्होंने आगे बताया की जब भी मेरे सहपाठी हमारे चाय के ठेले (Tea Shop) के पास से गुजरते, मैं छिप जाया करता था, लेकिन एक बार किसी ने मुझे देख लिया और मजाक बनाना शुरू कर दिया। मुझे सभी ‘चायवाला’ (Chaiwala) कहने लगे थे। फिर भी इस पर ध्यान ना देते हुए मेने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और जब भी टाइम मिला, तब पिता की मदत भी की।

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हिमांशु गुप्ता ने आगे बताया कि उनके सपने आगे बढ़ने और कुछ बड़ा करने के रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा एक अच्छे शहर में रहना और अपने परिवार को एक अच्छी जिंदगी देना चाहता था। पापा हमेशा कहते थे, ‘बेटा सपने सच करने है तो पढाई करो।’ तो मैंने वही किया।